Hindi storys for kids ( हिंदी कहनिया)
1 . बंदर और ऊँट
2 कौआ चला मोर मोर बनने
3 चालाक बन्दर
1 बंदर और ऊँट
एक जंगल मै कई साल पहले, जंगल से सारे जानवर अपनी-अपनी अभिनय और नाच-गाने की प्रतिभा दिखाने के लिए एकत्र हुए।
जब सारे जानवर आ गए, तो बंदर से नाचने को कहा गया। बंदर तो उछल-कूद और कलाबाजियों में माहिर था ही।
उसने अपने नाच से सबका मनोरंजन किया।
सभी लोगों ने बहुत सराहना की और बंदर को सभी ने बहुत अच्छा नर्तक मान लिया।
ऊँट से बंदर की सराहना सहन नहीं हुई और उसने भी नाचना शुरू कर दिया। उसका नाच बिलकुल बेतुका और बेढंगा था।
उसका नाच किसी को भी पसंद नहीं आया और सबने उसकी बुराई की।
उसने ईर्ष्या से भरकर नाच किया था, इसलिए उसे दंड के रूप में जंगल से निकाल दिया गया।
सिख : अगर तुम अपनी बाँह से अधिक अपना हाथ पसारोगे, तो तुम्हें हानि ही होगी।
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2 कौआ चला मोर मोर बनने
एक बार एक जंगल मै एक कौए ने बहुत सारे मोर पंख इकट्ठे किए और उन्हें अपने तन पर लगा लिए।
उसे अपना नया रूप बहुत अच्छा लगा और उसने निश्चय किया कि अब वह कौओं के साथ नहीं, बल्कि मोरों के साथ रहेगा।
इसके बाद वह अपने पुराने साथियों का तिरस्कार करके वहाँ से चला गया और मोरों के झुंड में मिलने की कोशिश करने लगा।
हालाँकि, मोरों ने तुरंत पहचान लिया कि उनके बीच में एक कौआ आ गया है।
उन्होंने अपनी चोंचों से नोंच-नोंचकर कौए के तन पर लगे मोर पंख नोंच डाले और उसका मखौल उड़ाने लगे।
अपमानित और दुखी कौआ भारी मन से अपने घर वापस लौट आया। सारे साथी कौए सिर हिलाते उसके पास आ पहुँचे और कहने लगे, “तुम बहुत ही नीच जीव हो!
अगर तुम अपने ही पंखों से संतुष्ट रहते तो तुम्हें दूसरों से इस तरह का अपमान नहीं सहना पड़ता और न ही तुम्हारे अपने लोगों के बीच तुमसे घृणा की जाती ।”
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3 चालाक बन्दर
किसी नदी के किनारे एक बहुत बड़ा पेड़ था। उस पर एक बन्दर रहता था। उस पेड़ पर बड़े मीठे फल लगते थे ।
बन्दर उन्हे भरपेट खाता और मौज उड़ाता । वह अकेले ही मजे में दिन गुजार रहा था
एक दिन एक मगर उस नदी में से पेड़ के नीचे आया । बन्दर के पूछने पर मगर ने बताया की वह वहाँ खाने की तलाश में आया है।
इस पर बन्दर ने पेड़ से तोड़कर बहुत से मीठे फल मगर को खाने के लिए दिए। इस तरह बन्दर और मगर में दोस्ती हो गई।
अब मगर हर रोज़ वहाँ आता और दोनों मिलकर खूब फल खाते । बन्दर भी एक दोस्त पाकर बहुत खुश था ।
एक दिन बात-बात में मगर ने बन्दर को बताया की उसकी एक पत्नी है जो नदी के उस पार उनके घर में रहती है।
तब बन्दर ने उस दिन बहुत से मीठे फल मगर को उसकी पत्नी के लिए साथ ले जाने के लिए दिए ।
इस तरह मगर रोज़ जी भरकर फल खाता और अपनी पत्नी के लिए भी लेकर जाता।
मगर की पत्नी को फल खाना तो अच्छा लगता पर पति का देर से घर लौटना पसन्द नहीं था।
एक दिन मगर की पत्नी ने मगर से कहा कि अगर वह बन्दर रोज-रोज इतने मीठे फल खाता है तो उसका कलेजा कितना मीठा होगा।
मैं उसका कलेजा खाऊँगी। मगर ने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं मानी
मगरमच्छ दावत के बहाने बन्दर को अपनी पीठ पर बैठाकर अपने घर लाने लगा ।
नदी बीच में उसने बन्दर को अपनी पत्नी की कलेजे वाली बात बता दी । इस पर बन्दर ने कहा कि वो तो अपना कलेजा पेड़ पर ही छोड़ आया है।
वह उसे हिफाजत से पेड़ पर रखता है। इसलिए उन्हें वापिस जाकर कलेजा लाना पड़ेगा ।
मगर बन्दर को वापिस पेड़ के पास ले गया।
बन्दर छलांग मारकर पेड़ पर चढ़ गया। उसने हँसकर कहा कि- “जाओ मूर्खराजा, घर जाओ और अपनी पत्नी से कहना कि तुम दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख हो ।
भला कोई भी अपना कलेजा निकालकर अलग रख सकता है ।”
बन्दर की इस समझदारी से हमे पता चलता है कि मुसीबत के वक्त हमें कभी धैर्य नहीं खोना चाहिए।
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